Wednesday, November 3, 2010

दिवाली कब मनाएं


धनतेरस इस बार दो दिन है। 3 नवंबर को शाम 6:30 बजे से 4 नवंबर की शाम 4 बजे तक धनतेरस तिथि है। इसके बाद चौदस की तिथि है। 5 नवंबर को इस बार सुबह चौदस है और दोपहर बाद कार्तिक मास की अमावस्या।


धनतेरस और दीपावली प्रदोषव्यापिनी और चौदस ऊषाकाल व्यापिनी है। धनतेरस के दोनों दिन खरीदी के शुभ योग हैं। पहले दिन बुधवार है तो दूसरे दिन गुरुवार को दिन भर सर्वार्थसिद्धि योग है।

चूंकि त्रयोदशी और दीपावली प्रदोषव्यापिनी है, इस लिहाज से शाम को धनतेरस और दीपावली का दीपदान होगा। चतुर्दशी में स्नान और पण्य दान सुबह होता है। पंचांग और रीति रिवाज भी ऐसे ही हैं। चू्कि चतुर्दशी को स्नान और पुण्य दान सुबह होता है, लिहाजा 5 नवंबर की सुबह चतुर्दशी स्नान करना ठीक होगा। दोपहर 1.01 बजे से अमावस्या तिथि लग रही है।


धनतेरस - 3 4 नवंबर को
आप मनाएं- 3 नवंबर को

कारण - 3 नवंबर की शाम 7 बजे त्रयोदशी तिथि लगेगी। यह त्योहार प्रदोषव्यापिनी है। निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार तीन नवंबर को ही यह त्योहार मनाया जाना ठीक है। किसी भी तरह के विवाद की स्थिति पर विद्वान निर्णय सिंधु ग्रंथ और परंपरा दोनों का ख्याल रखते हैं।

नरक चौदस - 4 और 5 नवंबर को

आप मनाएं - 5 नवंबर को
कारण - चतुर्दशी तिथि 4 नवंबर की शाम 4 बजे से 5 नवंबर की दोपहर 1.01 बजे तक है। यह त्योहार ऊषाकाल व्यापिनी है। निर्णय सिंधु के अनुसार 5 नवंबर को नरक चौदस का स्नान और दान करना ठीक है।

दीपावली :- 5 और 6 नवंबर को

आप मनाएं :- 5 नवंबर को
कारण - 5 नवंबर को दोपहर एक बजे के बाद अमावस्या तिथि लगेगी। यह त्योहार प्रदोषव्यापिनी है। शाम को दीपदान करने की परंपरा है। अत: दीपावली 5 नवंबर को मनाना ही शास्त्र सम्मत है।